* परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी *
अभी मैं एक कृषि यूनिवर्सिटी में गई थी राहुरी में,वहां के कुछ प्रोफेसर हमारे शिष्य हैं; उन्होंने कहा माँ, हमें तुम ऐसा कोई वाइब्रेटेड पानी दो जिससे हमारी उपज बढ़ जाए;तो मैंने कहा लो...मैंने उनको ऐसे हाथ घुमाकर पानी दिया,उस पानी को उन्होंने कुएं में डाल दिया,और उस कुएं के पानी से जितना भी धान्य(उपज) हुआ,वह सौ गुना ज्यादा हुआ,लेकिन सबसे आश्चर्य हुआ कि बहुत सारा अनाज ढाई ढाई सौ बोरियों का अनाज चूहे खा जाते थे,या सड़ जाता था, और जिस गोदाम में यह अनाज रखा गया..... हमको आश्चर्य हुआ कि उसमें छेद भी थे लेकिन चूहों ने उस में दांत तक नहीं लगाए,और उसी के पास एक पेंड रखा हुआ था,एक तरह की चीज होती है,वह सारा वह खा गए,जो कभी चूहे नहीं खाते,और गेहूं उन्होंने छुए नहीं...जैसे कि वैसे रखे रहे।अब आप कहेंगे,यह कैसे हो सकता है?साइंटिस्ट इसको मानने को तैयार नहीं,लेकिन साक्षात सामने है यह बात।राहुरी के प्रोफेसर हैं, उन्होंने मुझे बताया कि मां हम लोग तो दंग हो गए,अब हम यूनिवर्सिटी में यह बात कहते हैं,तो साइंटिस्ट कहते हैं कि इत्तेफाक होगा, जब परमात्मा की बात हुई,तो इत्तफाक हुआ, और साइंस की बात हुई तो sure shot हुआ...क्योंकि परमात्मा को मानना मनुष्य के अहंकार के लिए बहुत कठिन बात है।
- 26/12/1975