* परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी *

अभी मैं एक कृषि यूनिवर्सिटी में गई थी राहुरी में,वहां के कुछ प्रोफेसर हमारे शिष्य हैं; उन्होंने कहा माँ, हमें तुम ऐसा कोई वाइब्रेटेड पानी दो जिससे हमारी उपज बढ़ जाए;तो मैंने कहा लो...मैंने उनको ऐसे हाथ घुमाकर पानी दिया,उस पानी को उन्होंने कुएं में डाल दिया,और उस कुएं के पानी से जितना भी धान्य(उपज) हुआ,वह सौ गुना ज्यादा हुआ,लेकिन सबसे आश्चर्य हुआ कि बहुत सारा अनाज ढाई ढाई सौ बोरियों का अनाज चूहे खा जाते थे,या सड़ जाता था, और जिस गोदाम में यह अनाज रखा गया..... हमको आश्चर्य हुआ कि उसमें छेद भी थे लेकिन चूहों ने उस में दांत तक नहीं लगाए,और उसी के पास एक पेंड रखा हुआ था,एक तरह की चीज होती है,वह सारा वह खा गए,जो कभी चूहे नहीं खाते,और गेहूं उन्होंने छुए नहीं...जैसे कि वैसे रखे रहे।अब आप कहेंगे,यह कैसे हो सकता है?साइंटिस्ट इसको मानने को तैयार नहीं,लेकिन साक्षात सामने है यह बात।राहुरी के प्रोफेसर हैं, उन्होंने मुझे बताया कि मां हम लोग तो दंग हो गए,अब हम यूनिवर्सिटी में यह बात कहते हैं,तो साइंटिस्ट कहते हैं कि इत्तेफाक होगा, जब परमात्मा की बात हुई,तो इत्तफाक हुआ, और साइंस की बात हुई तो sure shot हुआ...क्योंकि परमात्मा को मानना मनुष्य के अहंकार के लिए बहुत कठिन बात है।

सहजयोग कृषि क्षेत्र के लिये भी एक वरदान है

"..................कृषि के क्षेत्र में भी हमने बहुत से शोध किये हैं। यहाँ पर एक व्यक्ति है जो कृषि विशेषज्ञ है । आत्म साक्षात्कार पाने के बाद उन्होंने चैतन्य लहरियों पर बहुत सा शोध किया है । जल को चैतन्यित करके यदि आप पौधों को सींचे तो थोड़े से समय में ही आपको दस गुनी फसल प्राप्त हो सकती है । यह कार्य भारत में हुआ है, भारत के एक कृषि विश्वविद्यालय में(राहुरी में) । इन लोगों ने पाया कि एक सर्वसाधारण पौधे और चैतन्यित जल से सींचे जाने वाले पौधे के विकास में बड़ा भारी अंतर होता है । कृषि के क्षेत्र में एक अन्य परिणाम जो हमने देखा है वो ये है कि यदि आप चैतन्य दें तो सर्वसाधारण गाय भी बहुत सा दूध देंगी । आपके पास यदि हाइब्रिड नस्ल की गायें हैं तो उनका दूध मस्तिष्क के लिये अच्छा नहीं होता क्योंकि दोगले पशुओं का दूध पीने वाले भी दोगले ही हो जाते हैं । मेरा अभिप्राय है कि उनका मस्तिष्क अस्थिर हो जाता है ।

...................अतः बेहतर ये होगा कि ऐसी गाय का दूध पिया जाय जिन पर इस प्रकार के प्रयोग न किये गये हों । खाद्य पदार्थों के बारे में भी ऐसा ही है । दोगले नस्ल के खाद्य पदार्थ हमारे लिये हितकर नहीं होते हैं क्योंकि मेरे विचार से ये हमारे स्नायु तंत्र को हानि पंहुचाते हैं । परंतु सर्वसाधारण बीजों का उपयोग भी आप नहीं कर सकते हैं क्योंकि वे दुर्बल हो चुके हैं और उनसे अच्छी फसल नहीं मिल सकती । इन देसी बीजों को यदि हम चैतन्यित कर लें तो इनसे बहुत अच्छी फसल होती है । कभी-कभी तो इन बीजों से हाइब्रिड बीजों के बराबर ही फसल होती है, जिसका स्वाद भी अच्छा होता है और इससे मनुष्य को किसी प्रकार की समस्यायें भी नहीं होती हैं। भारत के कृषि क्षेत्र में भी इससे बहुत सहायता मिल सकती है । सरकार ने हमें बहुत सारी जमीन पट्टे पर दी है, जहॉं हम कृषि के क्षेत्र में प्रयोग करेंगे और निष्कर्ष निकालेंगे कि चैतन्य लहरों का किस प्रकार से उपयोग किया जाय । कुछ सहजयोगी किसानों ने बहुत बड़ा कार्य किया है । उन्होंने खोज निकाला है कि चैतन्य लहरियों का पशुओं तथा खेती पर कितना अच्छा प्रभाव पड़ता है ।"

Shri Mataji Nirmala Devi’s saying about Agriculture

Vibrated water means enlightened power of Shri Ganesha within. When we use vibrated water in agriculture, miracles take place – like increase in – production, size of flowers & vegetables quality of crops. Size of flower in Sahaja Yoga Centre became huge and very fragrant too!

Excite the principle of Ganesha – seed production increases by 10 times or sometimes, even by 100 times (Tip of seed contain Ganesha Tattawa).

Even when Sahaja Yogis walk on the fields bare feet, the Earth element gets vibrated.

-- H.H.SHREE MATAJI --

Sahaja Yoga has to be spread in villages more rather than in the cities. In the cities, it will spread automatically, Sahajee should spread Sahaja Yoga in villages so that the problems & sorrow of farmers can be solved. Even we can bring revolution by spreading Sahaja Yoga in rural areas.

-- H.H.SHREE MATAJI --

Excellent work done by Scientists of Rahuri Agriculture University – a Sunflower as big as 2 feet was produced through Sahaja Yoga vibrations (Sahaj Agriculture Methods) . It was reported that it had become difficult to even lift the flower due to its heaviness! It was also reported that wheat and sunflower production increased – almost doubled!

* परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी *

चैतन्यमय पानी को कुंए में डालकर फसल में काम लेने पर ज्यादा उत्पादन हुआ।

राहुरी (महाराष्ट्र) में कृषि वैज्ञानिकों ने बतलाया कि चैतन्यमय पानी उपयोग करने के बाद पैदा हुये अनाज को गोदाम में चुहों ने दांत तक नहीं लगाया ना ही नुकसान पहुँचाया जबकि उसी गोदाम में बिना चैतन्यमय अनाज को चुहों ने नुकसान पहुँचाया।

* परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी *

कलकत्ता में शाकम्भरी देवी की शक्ति जागृत हुई। इससे यहाँ आस-पास बहुत हरियाली दिखाई दे रही है। ……. प्रकृति ने बहुत सुन्दर फूल दिये हैं 40 तरह के फूल पाये जाते हैं, जो अपनी सुगंध आस-पास फैला रहे हैं।

* परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी *

सहजयोगी का परम कर्त्तव्य कि पेड लगाये, बाग-बगीचे लगायें।

सहजयोगी के हाथ में चैतन्य है अगर पानी देगा तो शस्य-श्यामला बढेगी।

* परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी *

नवरात्रा में शाकम्भरी देवी का प्रार्दुभाव हुआ उनमें यह शक्ति थी जो उपज बढाती है, उसका प्रभाव खेती-बाड़ी में दिखाई देता है इसमें बड़े-बड़े साईज के बैंगन व टमाटर मिले | ककड़ी भी बड़ी साईज की पैदा हुई।

-- H.H.SHREE MATAJI --

जैसे कोई माली बाग लगा देता है और उस पे प्रेम से सिंचन करता है और उसके बाद देखते रहता है कि देखें कि बाग में कितने फूल खिले खिल रहे हैं। वो देखने पर जो आनन्द एक माली को आता है उसका क्या वर्णन हो सकता हे! कृष्ण नाम का अर्थ होता है कृषि से”, कृषि आप जानते है खेती को कहते हैं। कृष्ण के समय में खेती हुई थी और क्राइस्ट के समय में उसके खून से सींचा गया था। इस संसार की उर्वरा भूमि को कितने ही अवतारों ने पहले संबारा हुआ था। आज कलियुग में ये समय आ गया है कि उस खेती की बहार देखें, उसके फूलों का सुगन्ध उठायें।

ये जो आपके हाथ में से चेतन्य लहरियाँ बह रही हैं ये वही सुगन्‍ध है जिसके सहारे सारा संसार, सारी सृष्टि, सारी प्रकृति चल रही है। लेकिन आज आप वो चुने हुये फूल हैं जो युगों से चुने गये हैं कि आज आप खिलेंगे और आपके अन्दर से ये सुगन्ध संसार में फैल कर के इस कीचड़ के इस मायासागर के सारी ही गन्दगी को खत्म कर दे। देखने में ऐसा लगता है कि ये केसे हो सकता है ? माताजी बहुत बड़ी बात कह रही हैं। लेकिन ये एक सिलसिला है

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